ज्यादातर सरकारी बीमा कंपनियों के पास मोबाइल फोन के लिए इंश्योरेंस-प्लान (Insurance plane) नहीं होता। लेकिन कुछ की पॉलिसी (policy) ऐसी होती है, जिसमें घरेलू सामान के बीमा में मोबाइल भी शामिल होता है। United Insurance ही केवल ऐसी कंपनी है, जिनके पास मोबाइल हैंडसेट के लिए भी एक अलग से बीमा योजना है। लेकिन ये भी ज्यादातर बड़े कॉरपोरेट ग्राहकों के लिए ही बनी है।
ज्यादातर मामलों में फोन का बीमा उसी क़ीमत पर होता है, जो ख़रीद की क़ीमत होती है। यानि अगर आप अपने फोन का बीमा चाहते हैं, तो उसकी रसीद होनी ज़रूरी है। ग्रे मार्केट से ख़रीदे गये फोन को कोई भी कंपनी कभी बीमा नहीं देगी।
इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम (premium) की रकम, फोन के दाम की 1.5 से 2.5 फीसदी तक होती है। ये भी जांचना ज़रूरी है कि फोन का बीमा केवल भारत में ही लागू होगा या फिर विदेशों में भी। एक और मुद्दा ज़रूर ध्यान रखें। बाज़ार में नये मॉडलों के लगातार उतरने से फोन की क़ीमत बहुत तेज़ी से गिरती है। यानि जब भी आप फोन का बीमा क्लेम करते हैं, तो आपको वही रकम मिलेगी जो उस मॉडल की फिलहाल चल रही क़ीमत होगी।
किसी भी पॉलिसी में फोन का बीमा दुर्घटना और चोरी के लिए होता है यानि अगर फोन चोरी हुआ है तो आपके पास फोन-चोरी की एफआईआर (FIR) रखनी ज़रूरी है।
Saturday, July 28, 2007
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